राजभाषा

राजभाषा

हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा, राजभाषा एवं संपर्क भाषा है। साथ ही साथ यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक अस्मिता का संवाहक है। “अनेकता में एकता” की परिकल्पना सुसाध्य बनाने केलिए भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधने और उन्हें एक कतार में लाने को इस जन-मन की भाषा की अहम भूमिका है। अतः आजकल इसे विश्वभाषा की हैसियत भी प्राप्त हुई है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को संघ सरकार की राजभाषा की पदवी दी गयी और अनुच्छेद 351 में इसकी प्रगति का उत्तरदायित्व भारत सरकार को सौंप दिया गया। इस दृष्टि से एक केंद्र सरकार की कंपनी होने के वास्ते हमारी शासकीय कामकाज हिंदी में भी करना हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी ही है। अतएव हम राजभाषा नीति यानी राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम एवं राष्ट्रपति के निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने में अतीव दत्तचित्त हैं। इसलिए धारा 3(3) के अधीन आनेवाली सभी दस्तावेज़ें, मानक प्रपत्र, बैनर, मोहर, कंप्यूटर, आदि द्विभाषी में अनुरक्षण किये जाते हैं।

आगे, कंपनी की राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन में उत्तरोत्तर बढ़ावा लाने एवं हिंदी में काम करने को सक्षम बनाने के लिए हम अपने कर्मचारियों को समय-समय पर जागरूकता एवं पुनश्चर्या प्रशिक्षण देते रहते हैं। इसके अलावा हिंदी न जाननेवाले कर्मचारियों को प्रबोध/प्रवीण/प्राज्ञ परीक्षा में भर्ती करते हैं। यह भी नहीं हम यूनिटवार अपने कर्मचारियों के लिए हफ्ते में एक दिन “बोलचाल हिंदी क्लास” भी चलाते हैं। आगे, कंपनी में कर्मचारियों के मन में हिंदी के परिवेश लाने को लक्ष्यकर हिंदी सिनेमा सीडियों की लाइब्ररी है।

कंपनी के कर्मचारियों के मन में हिंदी के प्रति विशेष रुचि लाने के लिए कई प्रकार की प्रोत्साहन योजनाएँ सरकार के आदेश के अनुसार और उसके परे भी लागू की गयी हैं। मूल रूप से हिंदी में काम करनेवाले 25 कर्मचारियों को नकद पुरस्कार एवं शेष कर्मचारियों को हिंदी सिनेमा का फैमिली टिकट भी देते हैं। यह भी नहीं हिंदी पखवाड़ा समारोह के सिलसिले में हम अपने कर्मचारियों एवं उनके बच्चों के लिए अलग तौर पर विविध हिंदी प्रतियोगिताएँ आयोजित करते हैं। इसके विजेताओं के अलावा सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार भी देते हैं।